RUDRAKSH.... TEARS OF SHIV

एक दिन सहसा तपस्या करते समय,  भगवान शिव का मन अति क्षुब्ध हो गया। उस समय उनके नेत्र खुलते ही अश्रुओं की कुछ बूंदें गिरीं और उन बूंदों से रूद्राक्ष वृक्ष पैदा हो गया। इन रूद्राक्षों को भगवान शंकर ने विष्णु भक्तों में बांट दिया। जमीं पर ये रूद्राक्ष - मथुरा, अयोध्या, लंका, मलयाचल, काशी, नेपाल आदि देशों में इनके अंकुर लगाए। मनुष्यों को चाहिए कि वे क्रमशः वर्ण के हिसाब से, जाति के अनुसार ही रूद्राक्ष धारण करें। लोक में मंगलमय रूद्राक्ष जैसा फल देने वाला दूसरा और कुछ नहीं है। श्वेत रुद्राक्ष केवल ब्राह्मणों को धारण करना चाहिए। गहरे लाल रंग का रूद्राक्ष क्षत्रियों को, पीला - वैश्यों को और काला - शूद्रों को, धारण करना चाहिए। रूद्राक्ष शिव का मंगलमय लिंग- विग्रह है। रूद्राक्ष के प्रकार- 
एक मुखी - साक्षात शिव का रूप है । यह भोग और मोक्ष प्रदान करता है।
दो मुखी - संपूर्ण कामनाओं और फलों को देने वाला है।
तीन मुखी - साधना का फल और सारी विधायों को प्रतिष्ठित करने वाला होता है।
चार मुखी - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का पुरूषार्थ देने वाला होता है।
पांच मुखी- मुक्तिदाता और मनोवांछित फल प्रदान करने वाला होता है।
छः मुखी- पापों से मुक्त करने वाला।
सात मुखी - ऐश्वर्या प्रदान करने वाला।
आठ मुखी- दीर्घ आयु प्रदान करने वाला।
नौ मुखी- देवी सामान बनाने वाला।
दस मुखी- संपूर्ण कामनाओं की सिद्धि देने वाला।
ग्यारह मुखी- सदा विजयी बनाने वाला।
बारह मुखी- इसे केश प्रदेश में धारण करने से मस्तिष्क पर बारहों आदित्य विराजमान हो जाते हैं।
तेरह मुखी- सौभाग्य और मंगल लाभ देने वाला।
चौदह मुखी- समस्त पापों का नाश करने वाला होता है।
रूद्राक्ष धारण मंत्र- १. ऊं ह्लीं नमः २. ऊं नमः ३. क्लीं नमः ४. ऊं ह्लीं नमः ५. ऊं ह्लीं नमः ६. ऊं ह्लीं हुं नमः ७ ऊं हुं नमः ८ ऊं हुं नमः ९ ऊं ह्लीं हुं नमः १० ऊं ह्लीं नमः ११ ऊं ह्लीं हुं नमः १२ ऊं करौं क्षौं रौं नमः १३ ऊं ह्लीं नमः १४ ऊं नमः।
रूद्राक्ष के आकार -
आंवले के फल के बराबर रूद्राक्ष क्षेष्ठ बताया गया है।
बेर के आकार वाला मधयम श्रेणी का और चने के बराबर का निम्न कोटि का होता है।
अंग के अनुसार रूद्राक्ष धारण करना- 
सिर पर ईशान मंत्र से, कान में तत्पुरुष मंत्र से, गले और ह्रदय में अघोर मंत्र रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।
विद्वान लोग दोनों हाथों में अघोर बीज मंत्र से धारन करें। उदर पर वामदेव मंत्र से पंद्रह रूद्राक्षों द्वारा गुंथी हुई माला धारण करें।

Comments

  1. Nice article but more interesting can be made. U should elaborate it little in the beginning.

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